रतन टाटा की वसीयत: दान और उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा खुलासा
भारतीय उद्योगपति रतन टाटा न केवल टाटा ग्रुप के प्रतिष्ठित चेहरों में से एक हैं, बल्कि अपनी परोपकारी सोच के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में उनकी वसीयत को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान कर दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि उनकी संपत्ति किसे मिली और टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी कौन होगा?

रतन टाटा की कुल संपत्ति कितनी है?
रतन टाटा की कुल संपत्ति का अंदाजा लगाना आसान नहीं है, क्योंकि उनका अधिकांश हिस्सा टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से निवेशित है। फिर भी, कई रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी व्यक्तिगत संपत्ति 3800 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जाती है।
रतन टाटा संपत्ति वितरण: किसे क्या मिला?
रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया है, जबकि कुछ हिस्सा उनके करीबियों और संस्थानों को सौंपा गया है।
रतन टाटा का दान: किसे मिला बड़ा लाभ?
रतन टाटा को परोपकार के लिए जाना जाता है, और उन्होंने अपनी वसीयत में भी इसे प्राथमिकता दी। उनके द्वारा किया गया दान मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में गया है:
- टाटा फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स: शिक्षा, स्वास्थ्य और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए
- रतन टाटा चैरिटी डोनेशन: अनाथालयों, गरीबों की मदद और मेडिकल रिसर्च के लिए
- स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों को सहायता: नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए
रतन टाटा ने किसे संपत्ति दी?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने अपने कर्मचारियों, चैरिटी संगठनों और कुछ करीबी रिश्तेदारों को संपत्ति का हिस्सा सौंपा है।
टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी कौन?
रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी के रूप में अपने उत्तराधिकारी का चयन पहले ही कर लिया था।
रतन टाटा के वारिस कौन हैं?
- एन चंद्रशेखरन: वर्तमान में टाटा संस के चेयरमैन हैं और वे ही ग्रुप को आगे ले जा रहे हैं।
- टाटा ट्रस्ट्स का नियंत्रण: समूह का अधिकांश हिस्सा टाटा ट्रस्ट्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

रतन टाटा की विरासत और परोपकार
रतन टाटा का नाम सिर्फ एक बिजनेसमैन के रूप में नहीं, बल्कि एक समाजसेवी के रूप में भी याद किया जाएगा। उन्होंने हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की है। उनकी वसीयत इस बात का प्रमाण है कि वे अपने अंतिम समय तक परोपकार और समाज सेवा को प्राथमिकता देते रहेंगे।
निष्कर्ष
रतन टाटा की वसीयत उनके दयालु और परोपकारी स्वभाव को दर्शाती है। जहां उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान कर दिया, वहीं टाटा ग्रुप को संभालने के लिए योग्य उत्तराधिकारी भी तय कर दिया। उनका योगदान और विरासत भारत में सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।