भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बाढ़ (Flood) हर साल लाखों किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती है। खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो जाती हैं, मवेशियों का नुकसान होता है और कई बार जमीन भी महीनों तक बंजर पड़ी रहती है। ऐसे हालात में किसानों की आर्थिक स्थिति और भी मुश्किल हो जाती है। लेकिन राहत की बात यह है कि Agriculture Department और सरकारें समय-समय पर Flood Relief Schemes for Farmers शुरू करती हैं, ताकि किसान फिर से खड़े हो सकें।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे:
- किसानों के लिए उपलब्ध बाढ़ राहत योजनाएँ (relief schemes)
- पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
- राज्य और केंद्र सरकार की विशेष सहायता
- और किसानों को उठाने वाले जरूरी कदम
किसानों के लिए बाढ़ राहत योजनाएँ (Flood Relief Schemes)
1. State Disaster Response Fund (SDRF) और National Disaster Response Fund (NDRF)
बाढ़ से प्रभावित किसानों को SDRF और NDRF के तहत आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें शामिल है:
- Agriculture Input Subsidy – बीज, खाद, कीटनाशक और अन्य कृषि इनपुट के लिए सब्सिडी।
- Land Restoration – बाढ़ से क्षतिग्रस्त खेत की मरम्मत व पुनर्स्थापना।
- मवेशियों का मुआवजा – अगर पशुधन की हानि होती है तो अलग से राहत राशि।
2. Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY)
अगर किसान ने फसल बीमा कराया है तो बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में उसे claim करने का हक है।
- Claim सीधे बीमा कंपनी या Common Service Centre (CSC) के जरिए किया जा सकता है।
- इसके लिए जरूरी है कि नुकसान की जानकारी 72 घंटे के भीतर दी जाए।
3. राज्य सरकार की विशेष योजनाएँ
कई राज्य सरकारें अपने स्तर पर Flood Relief Packages घोषित करती हैं। उदाहरण के लिए:
- बिहार और असम जैसे राज्यों में बाढ़ प्रभावित किसानों को ₹3,000 से ₹6,000 तक की सीधी सहायता राशि (Direct Benefit Transfer) दी जाती है।
- कुछ राज्य राहत पैकेज में ब्याज-मुक्त कृषि ऋण पुनर्गठन की सुविधा भी देते हैं।
- प्रभावित क्षेत्रों में drainage system, bund (बंध) और ग्रामीण सड़कों की मरम्मत को priority दी जाती है।
4. कृषि उपकरण और बीज सहायता
बाढ़ में यदि कृषि उपकरण या बीज नष्ट हो जाएं तो सरकार replacement या subsidy पर नए बीज उपलब्ध कराती है। इससे किसान तुरंत अगली फसल की बुवाई कर सके।
पात्रता (Eligibility Criteria)
हर किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता। इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं:
- फसल का नुकसान कम से कम 33% या उससे ज्यादा होना चाहिए।
- किसान का नाम land record (खतियान/खसरा) में दर्ज होना चाहिए।
- किसान ने crop insurance कराया हो तो claim उसी condition पर मिलेगा।
- आवेदन के लिए आधार कार्ड, बैंक खाता, फसल विवरण और नुकसान का प्रमाण जरूरी है।
आवेदन प्रक्रिया (Application Process)
- सूचना देना – नुकसान की जानकारी स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग या बीमा कंपनी को समय पर देना जरूरी है।
- दस्तावेज़ जमा करना –
- आधार कार्ड
- जमीन का दस्तावेज़
- बैंक पासबुक
- फसल नुकसान की तस्वीरें/वीडियो
- फसल बीमा पॉलिसी (यदि हो)
- ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके –
- कई राज्यों ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं जहां किसान खुद आवेदन कर सकते हैं।
- ग्रामीण स्तर पर CSC केंद्र या कृषि कार्यालय में फॉर्म भरे जाते हैं।
- जांच और सत्यापन – अधिकारी मौके पर जाकर नुकसान का आंकलन करते हैं।
- सहायता राशि का वितरण – पात्र किसानों को सीधे बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के जरिए पैसा मिलता है।
किसानों को क्या करना चाहिए?
- बीमा कराना कभी न भूलें – Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana से जुड़ना सबसे सुरक्षित विकल्प है।
- नुकसान का रिकॉर्ड रखें – खेत और फसल की फोटो, वीडियो और स्थानीय अधिकारियों से रिपोर्ट बनवाएं।
- समय पर आवेदन करें – अधिकतर relief schemes की एक deadline होती है, इसलिए delay न करें।
- स्थानीय कृषि विभाग से जुड़े रहें – नई घोषणाएँ सबसे पहले यहीं से मिलती हैं।
बाढ़ राहत योजनाओं का महत्व
- किसान की आर्थिक स्थिति संभालने में मदद करती हैं।
- अगली फसल की तैयारी के लिए सहारा देती हैं।
- मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाती हैं ताकि किसान हार न मानें।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम योगदान देती हैं।
निष्कर्ष
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा किसी के हाथ में नहीं होती, लेकिन इससे उबरने के उपाय जरूर हमारे पास हैं। सरकार की Flood Relief Schemes for Farmers न केवल किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती हैं, बल्कि उन्हें फिर से खेती की मुख्यधारा में लौटने का अवसर भी देती हैं।
किसानों के लिए सबसे जरूरी है कि वे समय पर जानकारी लें, सही दस्तावेज़ तैयार रखें और आवेदन करें। तभी इन योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल पाएगा।