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Wed. Oct 8th, 2025

Success Story: छोड़ी विदेशी नौकरी, गांव में रचा नया इतिहास – बन गए करोड़ों के मालिक

Sameer_Gandotra_Frendy
Sameer_Gandotra_Frendy

आपने ऐसी बहुत सी सफलता की कहानी सुनी होगी जिसमे बहुत से लोग अपने करोड़ों और लाखों की सैलरी को छोड़कर कुछ अपना कारोबार शुरू करने का सोचते हैं। ऐसी ही एक success story है इन्वेस्टमेंट बैंकर और अब एक उद्यमी समीर गंडोत्रा की। जी हाँ समीर गंडोत्रा जो कोलकाता के टी टेस्टर भी हैं। अपनी मेहनत और दूरदर्शी सोच के कारण आज उन्होंने करोड़ों का अपना बिज़नेस स्थापित कर दिया है।  साल 2019 में समीर ने अपने दोस्तों और बिज़नेस पार्टनर निनाद पटेल ,हर्षद जोशी, और गौरव विश्‍वकर्मा के साथ मिलकर एक फ्रेन्डी नमक माइक्रो और मिनी मार्केटप्लेस chain की शुरुआत की जो आज करोड़ों का बिज़नेस बन चुका है।  

जब भी हम किसी successful बिजनेसमैन और entrepreneur की यात्रा को देखतें हैं तो उसमे कुछ बातें लगभग एक जैसी होती है , मसलन एक core आईडिया पर काम करना, उसमे बेहतर करते जाना, calculated रिस्क लेना, अपने विज़न पर विश्वास करना, असफलताओं से घबराने के बजाय उनसे सीखना और लगातार अपने कस्टमर्स को बेहतर से बेहतर सेवाएं देना। कोलकाता के रहने वाले समीर गंडोत्रा की सफलता की दास्तान इस से कुछ अलग नहीं है।विदेश की चमक छोड़ी, गांव की धरती अपनाई – कारोबार ने दिलाई करोड़ों की उड़ान

समीर गंडोत्रा का शुरुआती जीवन , इन्वेस्टमेंट बैंकर का सफल करियर और फिर भारत लौटना 

टी टेस्टर के प्रोफेशन से उन्होंने अपने नौकरी की शुरुआत की और आगे जाकर उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री हासिल की और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में अपना करियर आगे बढ़ाया। इतनी अच्छी सैलरी और बेहतरीन करियर के  होते हुए हुए भी समीर को कुछ अधूरा सा लगता था। वो कहते न कि भले ही आप अपने देश को छोड़कर आ गए हों , लेकिन आपके देश की मिटटी तो आपके ज़हन में हमेशा रहती है। आज भी अगर आप किसी से भी पूछें तो ये बात शत प्रतिशत सही है की वास्तविक भारत की आत्मा ग्रामीण भारत में बसती है.  इसी सोच के साथ आगे बढ़ते हुए  मिट्टी की खुशबू ने बदली समीर गंडोत्रा की ज़िंदगी  – विदेशी जॉब छोड़ गांव से बनाई करोड़ों की पहचान ग्रामीण भारत ने उन्हें प्रेरित किया क्योंकि उन्होंने पाया कि गाँव के क्षेत्रों में बिज़नेस के बहुत से potential है. इसी को ध्यान में रखते हुए 2019 में फ्रेन्डी नाम की मिनी मार्ट चेन की शुरुआत की।  लेकिन अगर आपको ऐसा लगता है की उन्होंने अपनी ज़िन्दगी का यह महत्वपूर्ण निर्णय केवल वयवसाय या पैसा कमाने के उद्देश्य से किया तो यह पूरी तरह से सही नहीं होगा। बल्कि वह गाँव में रहनी वाली बड़ी आबादी जो उनके उपभोक्ता भी हैं उनकी आवश्यकताओं को समझना चाहते थे और उन्हें मॉडर्न रिटेल शॉप एक experience देना चाहते थे।  यही सोच उनकी सफलता की सीढ़ियां बनाने में कारगर साबित हुई. चलिए हम अब विस्तार से समीर गंडोत्रा के कामयाबी की यात्रा के बारे में जान लेते हैं. 

1976 में कोलकाता में जन्मे समीर गंडोत्रा का जन्म एक बिज़नेस घराने में हुआ था उनके पिताजी एक बुसिनेसमान और टी टेस्टर थे. बिज़नेस की बारीकियां और उसके challenges को वो बचपन में अपने पिता के सानिध्य में जाना और सीखा। शुरुआती  शिक्षा उनकी ला मार्टिनियर स्कूल से हुई  और ग्रेजुएशन  उन्होंने गणित से किया अपनी कॉलेज की पढाई के दौरान। बैचलर डिग्री लेने के बाद थोड़े समय के लिए समीर ने टी टेस्टर का काम किया जहाँ उन्हें दिन में करीब 500 से ज़्यादा चाय के स्वाद को टेस्ट करना होता था।  जब बात आई पोस्ट ग्रेजुएशन की तो उन्होंने विदेश जाकर MBA  करने की ठानी और इसलिए  व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए की पढाई पूरी की।  साल 2003 में उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकर से अपनी नौकरी की शुरुआत की।  इस दौरान वह देश विदेश में काम करते। अपने करियर में तरक्की करते हुए वह कजाकिस्तान की एक प्रतिष्ठित कंपनी नेल्सन रिसोर्सेज में पदोन्नति करते हुए चीफ बिज़नेस अफसर के महत्वपूर्ण पद की ज़िम्मेदारी सँभालने लगे।  लेकिन फिर साल 2018 में उन्होंने फैसला किया कि  वो अपने देश अपने माता पिता के साथ आगे का जीवन बिताना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने विदेश छोड़कर भारत  लौटने का फैसला किया। यहाँ आकर उन्होंने कुछ समय रियल एस्टेट सेक्टर में हाथ आजमाया और अपने मित्रों की रियल एस्टेट बिज़नेस में सहायता करते रहे. इसी दौरान उन्होंने Tier 3 और Tier 4 में बिज़नेस के एक बहुत अच्छे potential को समझा 

अनोखा बिज़नेस मॉडल बना सफलता की यात्रा में सहायक 

अब शुरू होती एक बिज़नेस मॉडल के आईडिया धरातल पर लाना और उस से जुड़े अवसर , समस्याएं और स्कोप को बारीकियों से देखना और उन पर रिसर्च करना। साल 2019 वो वक्त था जब समीर ने अपने को फाउंडर्स निनाद पटेल, हर्षद जोशी और  गौरव विश्वकर्मा के सहयोग से ‘फ्रेंडी’ नाम की एक मिनी और माइक्रो मार्ट का आरम्भ किया।  जब उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा तो एक चौंकाने वाली बात उनको पता चली कि भले ही ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शॉपिंग ने ग्राहकों के काम को आसान कर दिया है , भले ही इसकी वजह से ग्राहक अब  अपनी पसंद की चीजें मोबाइल , लैपटॉप और इंटरनेट की मदद से  कुछ मिनटों या घंटो में माँगा सकते हैं ,लेकिन गाँव के ग्राहक इन सब चीजें से अनजान थे. मतलब साफ़ है कि इ कॉमर्स ने भले ही Tier-1 और मेट्रोपोलिटन सिटी में अपनी पहुँच बढ़ा ली हो लेकिन अभी ग्रामीण भारत में इसकी पहुंच दूर दूर तक नहीं है. इसके साथ  ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म से खरीदारी करना और डिजिटल पेमेंट को अपने जीवन में उतारना ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए एक चुनौती थी. और उस से बड़ी चुनौती समीर गंडोत्रा के लिए थी कि कैसे गाँव के ग्राहकों का भरोसा जीता जाए और उनके सामन की डिलीवरी समय के साथ सुरक्षित उनके एड्रेस पर पहुंचाया जाए. इसी तरह की चुनौतियों और समस्याओं का समाधान करने के लिए उन्होंने एक अनोखा बिज़नेस मॉडल बनाया जिसे फिजिटल यानि डिजिटल और फिजिकल का मिश्रण।  इस बिज़नेस मॉडल के तहत गाँव के नज़दीक छोटे टाउन में 500 से 1,000 स्क्वायर फ़ीट के मिनी मार्किट स्टोर खोले गए।  ये स्टोर आसपास के गाँवों में 50 स्क्वायर फ़ीट माइक्रो स्टोर  सहयोग देते हैं।  इन माइक्रो स्टोर का प्रबंधन गाँव के स्थानीय महिलाओं के हाथ में होता है जो लोकल पब्लिक को प्रोडक्ट बेचती है और उसमे से अपना मार्जिन कमेटी हैं।  ग्राहकों के अपनी सुविधा के अनुसार ‘फ्रेंडली’ ऐप पर आर्डर कर सकते हैं  या तो फिर माइक्रो स्टोर से अपनी ज़रुरत का सामान ले सकते हैं ।

फ्रेंडली  वेंचर बना रहा है करोड़ों का टर्नओवर 

व्यवसाय से ज़्यादा समीर के दिमाग में जो ग्रामीण ग्राहकों की समस्या हल करने का जो जूनून और समझ थी उसी के कारण आज उनका बिज़नेस करोड़ों का टर्नओवर कर रहा है और  साथ गाँव के स्थानीय लोगों की ज़रूरतों के साथ साथ उन्हें रोज़गार के अवसर भी दे रहा है. जो प्रॉब्लम सॉल्विंग की उनकी सोच थी वही उनकी सफलता की सबसे बड़ी वजह और सही मायने  में  कहें तो एक सक्सेसफुल businesman बनने का मोटिवेशन है।  बकौल समीर , वो ये मानते हैं कि ज़रूरी नहीं कि जो लोग गाँव में रहते हैं उनके सपने छोटे हों , बल्कि छोटे  शहरों के निवासी भी शहरी ग्राहकों की तरह बड़ी बड़ी चीजों को खरीदना चाहते हैं और उनके सपने भी बड़े हो सकते हैं।  समीर नए बिज़नेस करने वाले और कारोबारियों को  सुझाव देते हैं कि हमेशा छोटे छोटे क़दमों से शुरुवात करें।  बिज़नेस में छोटे लेवल पर शुरुआत करने से पहले रिस्क भी कम होता है।  ज़रूरी नहीं  कि अगर कोई जल्दी से सफलता पा रहा है तो वो उसमे टिका रहेगा , असली खेल scalability का है।  सबसे पहले तो अपने विज़न के क्लियर रखें , उसके लिए पूरा मार्किट रिसर्च करें और फिर धीरे धीरे समय के साथ उसको स्केल करते रहे।  समीर गंडोत्रा की success स्टोरी हमे ये सिखाती है , डिजिटल सलूशन ही नहीं बल्कि ट्रस्ट और  ग्राहकों से one to one कम्युनिकेशन से चीजों को आसान  बनाया जा सकता है।  यह कहना एकदम सही होगा की  ‘फ्रेंडी’ ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति और क्षमता की बेहतरीन मिसाल है।  

By admin

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